दो कहानी बड़ी पुरानी (A to Z Blog Challenge – “C” – April 2019)

I’m bending the rules a little bit today with this one, using the word “Car” as a starting point and then, because I was telling this story in Hindi class this week, sharing the story in Hindi. It’s bending the rules because in Hindi, “Car” is “गाड़ी” which starts with a ‘g’ sound. On the other hand, I suppose I could say कहानी starts with a ‘k’ sound which the letter C can also make. That’s my story and I’m sticking to it!

Meanwhile, for those of you who don’t speak Hindi, don’t worry – I’ve told the story below in English spread over two entries. The first story of my getting in trouble with my car is here, and the second can be found here. The English stories have a lot more detail in them (I’m a better English speaker than Hindi as you might imagine – so those of you reading in Hindi may want to see the English versions as well.)

जब मैं सोलह साल का था तब मेरे पिताजी मेरे लिये एक पुरानी गाड़ी ख़रीदे थे| वह गाड़ी 1964 में बनी थी| हर दिन स्कूल के बाद मैं गाड़ी चलाता था और गाना सुनता था| जब भी मैं अपनी गाड़ी में होता, तो बहुत खुश रहता| वह जैसे मेरा दूसरा घर था|

1964 Chevrolet Belair

एक दिन मैं बोस्टन जाना चाहता था लेकिन बोस्टन में बहुत ट्रैफिक होता है| मेरे माता-पिता ने कहा- “कभी बोस्टन मत जाओ” पर मैं सोचता था कि बोस्टन बहुत दिलचस्प है| पहली बार मैंने अपने माता-पिता को झूठ बोला था कि “मैं दोस्तों के साथ सिनेमा जा रहा हूँ| हम दो फ़िल्में देखेंगे| मैं बहुत देर से वापस आऊंगा“ फिर मैं मेरे दोस्त के घर गया और मैने उसको बोला- “चलो हम बोस्टन चलते हैं!“

हम बहुत मज़ा किये| हम बहुत शॉपिंग किये और घूमे| उस के बाद मेरी गाड़ी से हम वापस आ गए| हम शहर से बाहर जाने का रास्ता नहीं जानते थे, तो हमने एक टैक्सी वाले को पूछा| उसने कहा- “मेरे पीछे आओ!” और पार्किंग की जगह से बहुत जल्दी चला गया| मैं अपनी गाड़ी जल्दी से पार्किंग से निकाला और उसी समय हमने एक बड़ी और ख़राब आवाज़ सुनी| मैंने दूसरी गाड़ी को टक्कर मार दिया था और वह गाड़ी टूट गयी थी| वह पॉर्श थी| बहुत ही महँगी गाड़ी थी| मेरी गाड़ी ठीक थी| मैं सोच रहा था जाऊं या रुकूँ और उस के बाद हम पार्किंग से जल्दी निकल गए|

1986 पॉर्श 944

हम बहुत डरे हुए थे कि हम जेल में जाएँगे!! पुलिस हमको पकड़ सकती थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ पर एक हफ्ते बाद मैं पोस्ट ऑफिस गया और बोस्टन पुलिस से एक चिट्टी आई| उन्होंने मुझे पकड़ लिया! मैंने अपने माता-पिता को बताया| वे बहुत नाराज़ थे क्योंकि मैं झूठ बोला था और परेशानी में था|

अंत में, हमने “एक्सीडेंट रिपोर्ट” लिखा और बीमा कंपनी ने सुधार के लिए दूसरी गाड़ी को पैसे दिए|

एक आश्चर्य की बात : दो साल के बाद मैं वैसा ही झूठ बोला और दूसरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया लेकिन वह दूसरी कहानी है!

1989 में, मैं रात में (रात सात बजे से सुबह सात बजे तक) काम करता था| मैं दिन में सोता था| एक दिन काम के बाद मैं अपने घर वापस आया| सुबह मैं अपने भाई को बोला “हमें बोस्टन जाना चाहिए!” (मेरे भाई की उम्र दस साल थी) उसने कहा “हाँ! हम बोस्टन जाएँगे !!”

मैंने अपने माता-पिता को कहा- “हम शॉपिंग जा रहे हैं” और हम हमारे माता-पिता की गाड़ी लिए|

पूरा दिन हम बोस्टन में घूमे| हम म्यूजियम गए और जापानी खाना खाए| जब हम बोस्टन की सब से बड़ी इमारत में थे मैंने सोचा “ओह! हमें बहुत देर हो जाएगी“ तो मैंने अपने पिता को फोन में बताया -“हम बहुत मज़ा किये और हमें थोड़ा सी देर होगी|” ऐसा कहकर हम तुरंत गाड़ी में बैठ गए|

बोस्टन से हमारे घर तक जाने के लिए ढाई घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी| उस समय चार बजे थे और डेढ़ घंटे की यात्रा और बची थी| मैं बहुत थक गया था| मैंने सोचा- “जब हम पेट्रोल के लिए रुकेंगे, तब मैं पांच मिनट के लिए सो सकता हूँ|” मैं हाईवे से पेट्रोल भरवाने के लिए गया और अगले ही पल मैं गाड़ी चलाते हुए सोने लगा| मैंने सामने वाली दूसरी गाड़ी को टक्कर मार दिया| हमने गाड़ी रोकी| मेरे अभिभावक की गाड़ी टूट गयी चुकी थी| दोनों बल्ब टूट गए और बोनेट और लैच भी टूट गए| मेरी जेब में सिर्फ बीस डॉलर थे| मैंने सोचा कि आधे घंटे के बाद सूरज डूब जाएगा| क्या करें? मैंने पिताजी को फ़ोन किया कि हम बहुत देर से घर वापस पहुंचेंगे क्योंकि आपकी गाड़ी के बल्ब और बोनेट टूट गए हैं और हमारे पास पैसे भी बहुत कम हैं इसीलिए हम होटल में नहीं सो सकते| वे बहुत नाराज़ हुए|

मेरे पिताजी एक होटल में फ़ोन किये और उन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया| अगले दिन वे हमारे पास आ गए और मदद किये| हम बोनट लगाये और अपने घर वापस आ गए| मैंने सोचा कि अब अगली बार जब भी हम बोस्टन जाएँगे तो हम बस से ही जाएँगे|

This entry is part of the Blogging from A to Z challenge for April 2019. Click here for more info.


4 thoughts on “दो कहानी बड़ी पुरानी (A to Z Blog Challenge – “C” – April 2019)

  1. Wonderful Todd. I loved reading your post and I saw that my Hindi speed is much, much faster than my speed in Kannada. This is because I grew up in Delhi and other than Hindi we also studied Social Studies in Hindi. I am delighted. I will get a Hindi story book from the library. 😊 What is your brother doing ? Regards to Sage.

    1. Thank you! We aren’t in touch that often these days but he’s still in the US not far from where we grew up, married with children now.

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