हमेशा दिमाग की मत सुनो

अभी बाहर का तापमान 30 डिग्री है | उमस के कारण तापमान 40 डिग्री लग रहा है | मैं और मेरा बेटा डेगन टैंडेम साइकिल चलाएँगे | हमारी यात्रा 90 किलोमीटर की होगी | एक हफ्ते बाद मैं और डेगन एक बड़ी सायकिल यात्रा शुरू करेंगे | यह यात्रा 1500 किलोमीटर की होगी इसलिए हमें ट्रेंनिग करनी चाहिए |

मैं, डेगन, और अपनी टैंडेम साइकिल

तीस किलोमीटर साइकिल चलाने के बाद मुझे सिर में तेज दर्द हो रहा है | पूरी शर्ट पसीने से भीगी है| पैंतीस किलोमीटर बाद मुझे चक्कर आ रहा है | अभी मैं सोच रहा हूँ कि हमें हमारी यात्रा ख़त्म करनी पड़ेगी है | हमें अपने घर वापस जाना चाहिए | रास्ते में मैं एक आइसक्रीम की दुकान देखा और हम रुके | मैंने बड़ा बोतल कोल्ड ड्रिंक पीया और आइसक्रीम खाया और कुछ समय ए.सी में बैठा पर मुझे राहत नहीं मिली और अब हम अपने घर जा रहे हैं | मुझे ख़राब लग रहा हूँ इसीलिए डेगन कोई गाना गा रहा है| जब हम अपने घर पहुंचे मुझे बहुत खराब लग रहा है | मेरी पत्नी, सेज कहती है “आपको लू लग गई है तुरंत ठंडी शावर मैं जाओ !

शावर में मैं सोच रहा हूँ कि आज मैं सिर्फ पैंतीस किलोमीटर चला सका | 1500 किलोमीटर कैसे साइकिल चला सकता हूँ ? मैं असफल हो जाऊँगा | एक आवाज़ मेरे दिमाग में घूम रही है “यात्रा रद्द करो, यदि आप असफल होंगे आप बहुत शर्मिंदा होंगे, डेगन निराश होगा| आप हार गए ” और फिर, मैं रो रहा हूँ| यह सच है! मैं यात्रा रद्द करूँगा|

सेज आई और बोली “आप कैसे हैं ?” 

मैंने कहा “मैं हमारी यात्रा रद्द करूँगा !” और थोड़ा रोया | सेज हंसी और बोली “डिअर , सब ठीक होगा | शावर में रहो” और वो सही थी | कुछ मिनिटों बाद मेरा तापमान सामान्य होने के बाद और मैं सोच रहा हूँ कि यदि मुझे असफल होना है तो मुझे सायकलिंग करते हुए ही असफल होना चाहिए | शावर में मुझे असफलता के बारे में नहीं सोचना चाहिए | मुझे 1500 किलोमीटर की लम्बी यात्रा की जोरदार कोशिश करते हुए फेल होना चाहिए| ये मेरे लिये ज्यादा अच्छा होगा और उससे भी ज्यादा अच्छा उदाहरण डेगन के लिए होगा|

एक हफ्ते बाद मैं और डेगन फिर से यात्रा पर हैं | बहुत मज़ा आया | ओंटेरियो में हम रेल लाइन के पास वाली सड़क पर है और रेल गाड़ी का इंजीनियर अपना हाथ हिलाकर अभिवादन करता है| केबेक में जब हम एक दिन 120 किलोमीटर साइकिल चलाये | अभी हम खेत में है | हमें बहुत भूख लगी हैं और हमारे पास खाना नहीं है, तुरंत डेगन ने मुझे पीछे देखने को कहा और वहाँ बहुत सारे बेर के पौधे है | वे बेर खट्टे- मीठे थे| वर्मांट में बहुत तेज गर्मी के दिनों में हम एक बुज़ुर्ग आदमी से मिले | उन्होंने कहा “दस किलोमीटर बाद बाएँ जाने पर तैरने के लिए बहुत अच्छी जगह है| आपको जाना चाहिए| हम गए और बहुत मज़ा आया | नदी का पानी बहुत ठंडा और ताज़ा था|

Fresh raspberries!
बेर
वर्मांट में

और फिर…कनेटीकट |

कनेटीकट एक अलग जगह है क्योंकि वहाँ बहुत ज्यादा पहाड़ है और उनकी सड़कें बहुत व्यस्त होतीं हैं | वहां ड्राइवर्स बहुत ज्यादा अधीर होते हैं | आज बहुत गर्मी है | लगभग 40 डिग्री है | हम धीरे-धीरे जा रहे हैं क्योंकि हम एक बड़े पहाड़ पर चढ़ रहे हैं| हमारे पीछे बड़े ट्रक आ रहे हैं और हमारे बहुत करीब से गुजर रहे हैं | बहुत सारे ड्राइवर्स हमसे चिढ़ रहे हैं पर हम कुछ नहीं कर सकते है, क्योंकि वहाँ जाने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं है| 

 हम एक नयी आवाज़ सून सकते हैं | बीप बीप बीप | एक मिनी वैन हमारे पीछे है | वे बहुत अधीर हैं| मैं उनकी इन हरकतों से नाराज़ हो रहा हूँ क्योंकि मुझे गर्मी लग रही है और मैं साईकिल चलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूँ | उन लोगों को हमें अकेला छोड़ देना चाहिए, तभी एक जानी- पहचानी आवाज़ दिमाग में आयी “ये लोग बुरे हैं | क्या आप उन्हें अपने साथ लगातार ऐसा ही बर्ताव करने देंगे? आपको उनको कुछ बोलना चाहिए| मैंने सोचा -“हाँ आप सही हैं ” और फिर जब यह मिनी वैन धीरे-धीरे हमारे पास से गुजर रही है तब मैंने उसे बहुत ज्यादा गाली दिया| 

तो जब हम पहाड़ की चोटी में पहुंचे | हम रुके | मेरे हाथ कांप रहे है | क्योंकि मैं कभी किसी पर चिल्लाता नहीं हूँ| डेगन हँस रहा है और मैंने पूछा – क्या हुआ? हँस क्यों रहे? उन्होंने कहा – “ ये बात कमाल थी | मिनी वैन में एक परिवार था और जब वे हमारे पास से गुजर रहे थे, वे हमारे लिए ताली बजा रहे थे और बच्चे हमारा उत्साह बढ़ाने के लिए कह रहे थे कि आप कर सकते हैं | तेज चलाइए! 

मैं शर्मिदा हूँ और अभी मैं समझा हूँ कि दिमाग की जानी -पहचानी आवाज़ को कुछ नहीं पता |

6 thoughts on “हमेशा दिमाग की मत सुनो

  1. Are these old images Todd?
    Wonderful write up in hindi and your hindi writing is better than mine 🙂
    Were you preparing for a charity event? I am just curious as you mentioned the 1500 km cycle event.

    1. Hi Rupali – thanks! It takes a lot of time as I have to think hard and slowly and I don’t know all the right words so I have to look up the word I’m looking for.

      And yes, those are from 2012 when we did the ride. It was more than I wanted to go in to in that short story (It would’ve been another week of writing in Hindi, LOL!). But the idea was that instead of doing a charity ride where I ask people to give money that not everyone can give, I asked people to anonymously pledge to do a random act of kindness. Our goal was 500 (Thus the name 500 Kindnesses for the project) and in the end we got up to about 1,400. Everything from people baking bread for friends, buying coffee for strangers, or volunteering at a food bank. And so in the beginning I had the added pressure not only of letting myself and my son down but also all those people who were following the project.

      When we arrived in New York City we met up with a film crew who made a short film about what we did here: https://www.youtube.com/watch?v=v6SXOChEV2Y

      And on this site if you search “500 Kindnesses” you’ll find all the entries for each day of the ride. We ended up on the road for 25 days, riding for 19. Along the way we stayed in the homes of 10 complete strangers too – several of whom I’m still in touch with to this day.

  2. बहुत आकर्षित करती है आप की रचना जब तक पूरी ना हो एक उत्सुकता रहती है पाठक के मन में। अब तक सबसे हट कर ।

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