महिलाओं में शक्ति भरने वाली – सेवॉय हाओ

महामारी  के दौरान मैं अपनी दोस्त ‘सेवॉय’ का एक छोटा सा इंटरव्यू लिया | टोरंटो में बहुत सी महिलाऐं जानतीं हैं कि ‘सेवॉय’ ने ही सबसे पहले टोरंटो शहर में महिलाओं के लिए बॉक्सिंग जिम बनाया था| वह केवल एक जिम नहीं बनायीं, बॉक्सिंग और आत्मरक्षा के गुर नहीं सिखाईं, बल्कि दूसरों की मदद करने वाला एक समूह भी बनाईं |

शुरुआत  में उन्होंने  अपने छात्रों के साथ बगीचे में अभ्यास किया  | उन्होंने कभी-कभी पुरुषों के बॉक्सिंग जिम को भी किराये से लिया, पर एक दिन उन्हें एक परेशानी का सामना करना पड़ा जब पुरुष बाक्सिंग क्लब ने उन्हें अभ्यास करने से मना कर दिया | 

‘सेवॉय’ ने सोचा या तो यह काम छोड़ दिया जाए या फिर कुछ बड़ा किया जाए|  समूह की सभी महिलाएं एक साथ बैठी और अपने-अपने सपनों के बारे में एक दूसरे को बताया| वे जो भी चीज चाहती थीं उन्होंने लिखा जैसे- एक जगह , बॉक्सिंग के लिए कुछ सामग्री, बॉक्सिंग रिंग , शावर, एक दफ्तर और एक डिस्को बल्ब| सबसे पहले एक शनिवार  ‘सेवॉय’ ने एक अच्छी जगह ढूँढी| वह  जगह काफी बड़ी थी| वह उसके सपनों के जिम जैसा था | उसी समय ‘सेवॉय’ ने कहा -” मैं इसे लूंगी” बिना उसकी कीमत जाने | उसने किराये के लिए  $6,000 लगभग  3 लाख का चेक दिया | जब वह घर वापस गई, उन्होंने सोचा- “यह मैंने क्या किया? मेरे पास तो सिर्फ  $200 (Rs.10,000) है !” उस रात उन्होंने अपने सभी दोस्तों, रिश्तेदारों को फोन किया और अपने सपने के बारे में बताया | सोमवार को उनके बैंक खाते में बहुत से पैसे जमा हो चुके थे| उनका नया बॉक्सिंग जिम खुला | उसके बाद वे जिम में एक “फ़ूड बैंक” शुरू किये, जिसमें लोग भूखे लोगों के लिए  खाना दान कर सकते थे|| एक दिन उन्होंने सुना कि किसी छात्र को अपने स्कूल के लिए एक कंप्यूटर की आवश्यकता है | तब उन्होंने जिम में एक “कंप्यूटर बैंक” भी खोला | समूह की महिलाएं कंप्यूटर भी दान करती थी| जिम में कुछ साइकिलें भी रखी गईं| उन लोगों के लिए जिन्हें साईकिल की जरुरत थी|

‘सेवॉय’ की यह तस्वीर  Lisa MacIntosh द्वारा ली गई है

 मैं सन् २०१२ में पहली बार ‘सेवॉय’ से मिला था| दिसंबर सन् २०१८ की बात है मैं फेसबुक देख रहा था  तभी मैंने  न्यूज़ फीड में एक वीडियो में  ‘सेवॉय’ और एक महिला को देखा | 

दोनों ने  एक वीडियो  बनाया था, जिसमें वे सेंटा क्लॉज के कपड़े पहने हुई थीं और सभी से मदद की अपील कर रही थी क्योंकि उस दिन बहुत ठण्ड थी जो बेघर लोगों के लिए बहुत बड़ी परेशानी उत्पन्न कर सकती थी | वे लोगों से कुछ पैसे, गर्म कपड़े, गिफ्ट कार्ड मांग रही थी, जिससे बेघर और गरीब लोग अपना क्रिसमस अच्छे से मना सके और कड़कड़ाती ठंड से अपने को बचा सकें |  ‘सेवॉय’ को देखकर बहुत से लोगों को दान करने की प्रेरणा मिली और उन्होंने भी अपने आस -पास  रहने वाले बेघर लोगों की यथाशक्ति सहायता की |

एक दिन  ‘सेवॉय’ को एक महिला ने मदद के लिए फोन किया| वह महिला घरेलु हिंसा से परेशान थी|  ‘सेवॉय’ ने कुछ महिला बॉक्सरों को मेल करके पूछा कि क्या वे उस महिला के घर जा सकतीं हैं?  कुछ देर बाद ही बहुत सी महिला बॉक्सर उस महिला की मदद के लिए पहुँच गई और उस महिला और उसके सामान को सुरक्षित जगह पहुँचा दिया| मुझे  ‘सेवॉय’ की सबसे अच्छी बात यह लगती है कि वे समूह में रहकर कार्य करती है| अधिकतर हम सब सोचते है कि एक आदमी क्या किसी की मदद कर सकता है, पर ‘सेवॉय’  ऐसा नहीं सोचती| जब वह किसी की कोई परेशानी देखती हैं तो सोचती है कि किस प्रकार इनकी मदद की जाए| 

 ‘सेवॉय’ एक आशावादी महिला है|  महामारी के कारण फिलहाल तो उनका जिम बंद है, पर वे और उनके साथी बगीचे में अभी भी अभ्यास करते हैं| वे सभी मिलकर आज भी लोगों की मदद कर रहे हैं| 

ये कुछ वीडियों  है जिसमें ‘सेवॉय’ के काम को और अच्छी तरह देखा सुना जा सकता है|

3 thoughts on “महिलाओं में शक्ति भरने वाली – सेवॉय हाओ

  1. I always think that I should start reading Hindi books again. But somhow that moment never comes 😊 . My speed in Kannada and Hindi is not very fast. So many books to read.

    1. Same here. I recently finished reading Toba Tek Singh by Manto and it took a long time even with help. And that’s a quite short story. Meanwhile, I can breeze through a book in English. I think the difference for me is I can read unconsciously in English – I’m not thinking or trying to figure anything out. There’s an extra step when reading Hindi. Writing Hindi for me is faster than reading but that assumes I don’t have to look words up. Somehow my thoughts flow out better in Hindi than others thoughts come in.

      1. In English, I don’t have to read each word. So I read much faster. I grew up in Delhi and even studied in Hindi but it is a long time since I have read any book. But one of my relatives is a Bengali and we call each other at least twice a month and we speak in Hindi. And Kannada, I learnt to read and write with my children. We speak Kannada at home. Fortunately there are many translated works and audio books are also coming out.

Share your thoughts!

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.